The Brain Of Albert Einstein | 

अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग चोरी का पूरा सच


जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश भी नहीं की और यह कहना था दुनिया के सबसे महान साइंटिस्ट में गिने जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन का वैसे तो अल्बर्ट आइंस्टीन आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है लेकिन फिर भी मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आइंस्टीन वही है जिन्हे जन्म से ही बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था क्योंकि जब वह पैदा हुए थे तब उनके सर का साइज और बच्चों के मुकाबले काफी बड़ा था इसके अलावा उन्हें शुरू से ही बोलने में समस्या होती थी यहां तक कि आम बच्चों से भी अलग 

उन्होंने 4 साल के बाद से बोलना शुरू किया था हलाकि 4 साल के बाद वह बोल तो लेते थे लेकिन वह भी तोतला कर और यह प्रॉब्लम खत्म हुई 9 साल की उम्र में जाकर साथ ही स्कूल के समय में काफी शांत स्वभाव के होने की वजह से उनके क्लासमेंट भी उन्हें बहुत ही ज्यादा तंग करते थे यहां तक कि आइंस्टीन के टीचर्स भी उन्हें बिल्कुल भी नहीं मानते क्योंकि वह मैथ और साइंस को छोड़कर सभी सब्जेक्ट में फेल हो जाते थे 

हलाकि आइंस्टीन की ऐसी अजीब आदते बड़े होने के बाद भी खत्म नहीं हुई क्योंकि साइंस के कई सारे रिसर्च को बड़ी आसानी से अंजाम देने वाले आइंस्टीन को अपना खुद का नंबर तक याद नहीं रहता था और दोस्तों एक बार की घटना बहुत ही फेमस है की आइंस्टीन अपने ऑफिस में काम कर रहे थे उनके किसी सहकर्मी ने उनका टेलीफोन नंबर माँगा और यह बात सुनकर उन्होंने अपने पॉकेट से डायरी निकाली और उसमे अपना नंबर खोजने लगे हालांकि यह देखकर उनके सहकर्मी ने उनसे पूछा कि आपको अपना नंबर याद नहीं है तो इसका जवाब आइंस्टीन ने यह कह कर दिया कि जो चीज में अपनी डायरी में खोज कर आपको बता सकता हूं उसे याद रखने की क्या जरूरत 

और दोस्तों कहा तो यह भी जाता है कि बड़े होने के बाद भी अपने जूतों का लेस आइंस्टीन खुद नहीं बांध पाते थे और उन्हें अपने बाल कटवाने बिल्कुल पसंद नहीं थे जिसकी वजह से आप उन्हें बड़े-बड़े बालों में देख सकते हैं हालांकि दोस्तों इसी तरह के अजीबो गरीब आदतों वाले लड़के ने ही थिओरी ऑफ रिलेटिविटी के तरह ही बहुत सारे ऐसे खोज किये जिसने की पूरी दुनिया को ही बदलकर रख दिया 

और इसी वजह से ही लोग जानना चाहते हैं कि आखिर आइंस्टीन के ब्रेन में ऐसा क्या था जो कि एक आम इंसान के दिमाग में नहीं होता है और फिर साइंस के कई सारे कॉम्प्लिकेशंस को सॉल्व करने के बाद 18 अप्रैल 1955 को जब आइंस्टीन की मृत्यु हुयी तब इनके परिवार वालों ने एक पैथोलॉजी डॉक्टर थॉमस हार्वे को आइंस्टीन के डेथ बॉडी की जांच के लिए बुलाया 

लेकिन दोस्तों थॉमस हार्वे ने जांच करते समय आइंस्टीन के परिवार की अनुमति के बिना उनके दिमाग को शरीर से निकाल लिया और फिर वहां से फरार हो गए जरहसल थॉमस हार्वे अल्बर्ट आइंस्टीन की दिमाग पर रिसर्च करते हुए यह जानना चाहते थे की आखिर वह आम लोगों से अलग कैसे है साथ ही वह ऐसी चीजों को भी जानना चाहते थे क्योंकि साइंस और साइंटिस्ट दोनों को ही फायदा पहुंचा सकें 

हलांकि उन्हें उस समय आइंस्टीन के दिमाग को रिसर्च में इस्तेमाल करने के लिए परमिशन नहीं मिली और इसीलिए थॉमस ने दिमाग को एक जार में रखकर किसी बेसमेंट में छुपा दिया हालांकि 20 साल के बाद जाकर अल्बर्ट आइंस्टीन के बेटे एडवर्टेंस आइंस्टीन के अनुमति पर डॉक्टर हार्वे ने रखे हुए दिमाग के ऊपर रिसर्च करना शुरू किया और जब उन्होंने आइंस्टीन दिमाग का वजन किया तब यह पाया उनका दिमाग 1230gm था 

जोकि एक आम इंसान के दिमाग से थोड़ा छोटा  था क्योकि आमतौर पर इंसान का दिमाग 1300 से 1400 ग्राम के बीच में होता है और फिर रिसर्च शुरू करते समय थॉमस हार्वे  ने आइंस्टीन के ब्रेन को 240 टुकड़ो में बांट दिया और उन टुकड़ो को उन्हों ने पूरी दुनिया के फेमस पैथलैब में भी रिसर्च के लिए भेज दिया और फिर कुछ लोगो के रिसर्च में यह सामने आया की आइंस्टीन के दिमाग का सर्वल कोर्टेक्स नाम का एक हिस्सा ओरो से अलग था 

दरहसल सर्वल कोर्टेक्स दिमाग का  वह अहम हिस्सा होता है जोकि दिमाग के ही सबसे कॉन्प्लिकेटेड प्रोसेस के लिए जिम्मेदार होता है जैसे कि कुछ सोचना गलत या फिर सही का निर्णय करना और एडवांस इमैजिनेशन की तरह ही बहुत कुछ साथी इन सभी बातों के अलावा भी अलग-अलग डॉक्टर और साइंटिस्ट ने कुछ और बातो को अपनी रिपोर्ट में बताया जोकि मेडिकल लैंग्वेज में होने की वजह से ना में खुद अच्छे से समझ सकता हूं और ना ही आपको बता सकता हूं लेकिन कुल मिला जुलाकर काफी सारे रिसर्च के बाद से आज तक कोई भी रिजल्ट सामने नहीं आया  

जो की साइंस की मदद कर सकता है हलांकि वैज्ञानिको को यह उम्मीद है टेक्नोलॉजी बड़ने के बाद से उनके हाथ में जरूर ही  पॉजिटिव रिजल्ट होंगे हलाकि अगर आप भी आइंस्टीन के ब्रेन के हिस्से को देखना चाहते हैं तो फिर फिलाडेल्फिया के मोएटेर म्यूजियम एंड हिस्टोरिकल मेडिकल लाइब्रेरी में देख सकते हैं और दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टीन सिर्फ ऐसे वैज्ञानिक नहीं है जिनके शरीर का अंग अभी भी सुरक्षित रखा गया है बल्कि उनके अलावा इटली के मशहूर वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली का भी अंगूठा, ऊँगली और रीड़ की एक हड्डी इटली के फ्लोरिड शहर में एक म्युजियम में रखी है गैलीलियो गैलिली ने ही दूरबीन का अविष्कार किया था 

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